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Wednesday, February 24, 2010

बंगाल के चुनावी ट्रैक पर दौड़ी 'ममता' मेल

यूपीए सरकार में लगातार अपना दूसरा रेल बजट पेश करने वाली ममता बनर्जी ने लोकलुभावन बजट से जनता को खुश कर दिया। पिछले 7 सालों से यात्री किराए में नहीं की गयी बढ़ोत्तरी को इस बार भी जारी रखते हुए ममता ने लालू की तर्ज पर कई बड़ी घोषणाएं कीं। लेकिन इन सबके बीच अपने पूरे बजट भाषण के दौरान ममता बंगाल पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिखीं।

बंगाल पर बरसी ममता की ममता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था की उनकी हर दूसरी घोषणा किसी न किसी रूप में बंगाल से जुडी थी. बजट में मिली 54 नयी ट्रेनों में से 16 बंगाल के खाते में गयी हैं, वहीँ 28 पैसेंजर ट्रेनों में से 5 गाड़ियाँ भी बंगाल को ही मिली हैं. बात सिर्फ ट्रेनों तक ही सीमित नहीं है, अगर दूसरी घोषणाओं की बात करें तो उनमें भी ममता का बंगाल मोह साफ़ नज़र आता है. टाटा के नैनों प्लांट को सिंगूर से सानन्द भेजने वाली ममता ने सिंगूर की जनता को जहाँ रेल कोच फैक्ट्री के रूप में मरहम लगाने की कोशिश की, वहीँ खड़गपुर की जनता को लुभाने के लिए आदर्श स्टेशन के साथ ही रेल रिसर्च सेंटर की सौगात भी दे दी. लेकिन बंगाल पर मेहरबान ममता के पिटारे से अभी और घोषणाएं होना बाकी थीं. बजट में घोषित 4 रेल अकादमियों में से एक कोलकाता में, इसके साथ ही हावड़ा-सियालदह को आपस में जोड़ने और चितरंजन कारखाने कि क्षमता बढाए जाने जैसी और भी कई बड़ी घोषणाएं बंगाल के नाम रहीं. हालांकि ऐसा नहीं है कि ममता कि ममता सिर्फ बंगाल पर ही बरसी, बल्कि दूसरे प्रदेशों को भी कुछ न कुछ मिला. लेकिन इन सबके बीच एक बात जो स्पष्ट नज़र आई, वो यह कि लगभग हर प्रोजेक्ट में पश्चिम बंगाल हिस्सेदार जरूर बना।

कुल मिलाकर ममता का बंगाल पर सुविधाओं कि बरसात करने का मकसद राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं, या कुछ और। लेकिन बजट में बंगाल कि जनता को दी गयी सौगात से यह बजट कम और तृणमूल कांग्रेस का चुनावी घोषणा-पत्र अधिक नज़र आया.