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Tuesday, December 2, 2008

एफडीआई रखेगा बरकरार, टेलिकॉम सेक्टर की रफ़्तार

आर्थिक मंदी के दौर में जहाँ धुरंधर सेक्टर कम हो रहे निवेश के चलते नुकसान झेल रहे हैं, वहीँ विश्व में तेज़ी से उभरता भारत का टेलिकॉम सेक्टर सरपट दौड़ रहा है। भारत को एक बड़े बिज़नस हब के रूप में देख रही विदेशी दूरसंचार कंपनियाँ लगातार यहाँ निवेश बढ़ाने को लेकर उत्सुक दिख रही हैं। विदेशी कम्पनियों की इस उत्सुकता का एक कारण भारत सरकार द्वारा हाल ही में दूरसंचार क्षेत्र में आने वाली नई कम्पनियों को लाईसेन्स देने की घोषणा भी है। इसके साथ ही वर्ष 2009 से थर्ड जेनरेशन सेवाओं को भी शुरू कर दिया जाएगा। इन सुविधाओं की घोषणा के बाद से ही विदेशी दूरसंचार कंपनियाँ भारत के टेलिकॉम सेक्टर में निवेश को लेकर खासी उत्साहित नज़र आ रही हैं। वैसे देखा जाए तो देश की बढ़ती जनसँख्या एक अभिशाप है, लेकिन टेलिकॉम सेक्टर की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को यही जनसँख्या एक वरदान के रूप में नज़र आती है। यही कारण है की दुनियाभर की टेलिकॉम कंपनियाँ भारत को एक बड़े टेलिकॉम हब के रूप में देखती हैं। आंकडों पर गौर करें तो वर्ष 2008 की शुरूआती दो तिमाहियों में टेलिकॉम सेक्टर ने लगभग 2 अरब डॉलर से भी अधिक का एफडीआई खींचा है। हाल ही में नार्वे की टेलिकॉम कम्पनी "टेलीनोर' ने यूनीटेक वायरलेस में 6120 करोड़ रुपये निवेश कर 60 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली है। दूरसंचार मंत्रालय का मानना है कि आने वाले समय में और कई बड़ी टेलिकॉम कंपनियाँ भारत में निवेश करेंगी। इसके लिए सरकार घरेलू कम्पनियों को अपनी अधिक से अधिक हिस्सेदारी विदेशी कम्पनियों को बेचने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। मंत्रालय भारत के टेलिकॉम सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से ऐसे नियम लागू करने जा रहा है, जिससे कि जल्द से जल्द नए आपरेटरों को यहाँ अपनी सेवाएं शुरू करने में सुविधा हो। आने वाले समय में विडियोकान, स्वान, लूप जैसी कंपनियाँ टेलिकॉम सेक्टर में नई पारी खेलने जा रही हैं, जिसे देखते हुए लग रहा है कि मंदी के बाद भी भारत के दूरसंचार क्षेत्र में तेजी से निवेश बढेगा और भविष्य में भी टेलिकॉम सेक्टर कि रफ़्तार बरकरार रहेगी।

1 comment:

तीसरा कदम said...

टेलिकॉम सेक्टर की तो बात ही अलग है.

ये तो बात सही है की सरकार के नियमो से बाद अगर ऍफ़ डी आई बाद जाता है तो बहुत अच्छा होगा.
बहुत अच्छी प्रस्तुति.