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Wednesday, August 5, 2009

आख़िर क्यों महँगी हो रही मिठास ?



सुबह उठते ही चाय की चुस्कियों से लेकर रात के खाने तक, शायद ही हम चीनी के इस्तेमाल के बिना रहते हों, लेकिन अब हमें यह आदत जल्द बदलनी पड़ सकती है। इसका कारण साफ़ है कि जिस तरह से चीनी के दाम आसमान छू रहे हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि हाल-फिलहाल इससे राहत मिलने कि उम्मीद कम ही है। ऊंचे तबके से लेकर निम्न तबके तक लगभग सभी अपने दैनिक जीवन में किसी न किसी रूप में चीनी का उपयोग अवश्य करते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से इसके बदले तेवरों के चलते लोगों को मिठास का एहसास कराने वाली चीनी का स्वाद कड़वा होता जा रहा है।


अगर हम वर्ष 2009 के दौरान चीनी के दामों में आई तेज़ी पर नज़र डालें तो खुदरा बाज़ार में जनवरी में इसकी कीमत 21 रुपये/किलो थी, हालांकि यह कीमत भी सामान्य दाम से लगभग 4 रुपये/किलो ज्यादा थी, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने चीनी खाना कम नहीं किया। बढती मांग को देखते हुए चीनी के भाव और चढ़ने लगे और मार्च आते-आते इसने 25 रुपये/किलो का स्तर छू लिया। अब लोगों को और सरकार को भी लगने लगा कि चीनी ने तेज़ी कि राह पकड़ ली है। ऐसा भी नहीं है कि सरकार ने अपनी ओर से चीनी के दामों में लगाम लगाने कि कोशिश न कि हो, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीनी के दामों में आए उछाल कि वजह से इसपे काबू पाना सरकार के बस में भी नहीं रहा। खैर जैसे-तैसे 2 महीने का वक्त गुजरा लेकिन चीनी के दाम बेकफुट पर आने के बजाय फ्रंटफुट कि ओर बढ़ने लगे और मई आते-आते चीनी ने 27 रुपये/किलो के आंकडे को छू लिया। दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहे चीनी के दामों ने इस बार सरकार के भी कान खड़े कर दिए और और सरकार ने आनन-फानन में चीनी पर "स्टॉक होल्डिंग और टर्नओवर लिमिट लगाने के साथ ही इसके वायदा कारोबार पर भी रोक लगा दी।


चीनी के दामों को नियंत्रित करने के लिए उठाये गए इन क़दमों से सरकार को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी लगने लगा कि अब शायद चीनी फिर से आम आदमी कि पहुँच में होगी, लेकिन नतीजा फिर वही "ढाक के तीन पात"। स्टॉक होल्डिंग लिमिट बंद किए जाने के बाद भी राज्य सरकारों द्वारा इसकी अनदेखी कि जा रही है और नतीजा ये है, कि देश में अब तक सिर्फ़ 11 राज्यों ने ही इस फैसले को लागू किया है। इसमे सबसे चिंता की बात ये है कि चीनी कि सर्वाधिक खपत वाले बड़े राज्य उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश ने भी इसे लागू नहीं किया है।


चीनी के बढ़ते दामों के लिए केन्द्र ही नहीं बल्कि राज्य सरकारें भी दोषी हैं और यही वजह है कि जून में चीनी के दाम 30 रुपये/किलो के स्तर पर पहुँच गए। अर्थशास्त्र कि भाषा में अगर बात करें तो चीनी कि कीमतों में आई तेज़ी का सबसे बड़ा कारण मांग और उत्पादन में भारी अन्तर है, उपभोक्ता मांग के अलावा फ़ूड प्रोसेसिंग, फास्ट फ़ूड तथा रेस्टोरेंट आदि में भी चीनी कि मांग तेज़ी से बढ़ी है, इसके अलावा ग्रामीण परिवेश में भी अब तेज़ी से बदलाव आ रहा है और लोग गुड कि बजाय शक्कर ज्यादा इस्तेमाल करने लगे हैं। इन सबकी तुलना में यदि उत्पादन कि बात करें तो वह साल-दर-साल घटा है। इसके अलावा मौसम भी शक्कर के दामों में आई तेज़ी का प्रमुख कारण है। चीनी के मुख्य स्त्रोत गन्ना को काफ़ी पानी और मेहनत कि जरूरत होती है, लेकिन पिछले कुछ समय से गन्ना किसानों को मौसम कि बेरुखी का सामना भी करना पड़ा है, जिसके चलते अब किसान भी गन्ने कि खेती करने से कतराने लगे हैं। इन सबके अलावा चीनी के दामों में तेज़ी का एक कारण कहीं न कहीं राजनीती भी है। केन्द्र और राज्य सरकारों में आपसी सामंजस्य न होने के कारण राज्य सरकारें गन्ने का का दाम बेतुके ढंग से बढ़ा रही हैं, जिसके चलते चीनी मिलों को गन्ना खरीदने में दिक्कत हो रही है, फलस्वरूप गन्ने का रकवा घट रहा है और किसान कम पैदावार कर रहे हैं।

चीनी के बढ़ते दाम को नियंत्रित करने के लिए सरकार काफ़ी हाथ-पैर भी मार रही है, और यही वजह है कि लगभग 17.5 लाख टन रा- शुगर आयात की जा चुकी है और १५ अगस्त तक यह आंकडा लगभग 18.5 लाख टन पहुँचने कि उम्मीद है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीनी के 25 साल के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के कारण भी इसकी कीमतों में तेज़ी आई है। इसके साथ ही जानकारों के मुताबिक त्योहारी सीज़न में मांग बढ़ने और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतें तेज़ रहने कि वजह से आने वाले 3 महीनों में चीनी के दाम और बढ़ सकते हैं। वैश्विक हालातों और देश में मौसम की बेरुखी देखकर तो यही लगता है, कि आने वाले समय में चीनी कि मिठास खटास में बदलने वाली है और ऐसे में अमिताभ और तब्बू अभिनीत फ़िल्म का ये गाना सटीक बैठता है, कि "चीनी कम है...चीनी कम...थोडी-थोडी तुझमें है, थोडी-थोडी कम-कम...

2 comments:

युवा हिन्दुस्तानी said...

sahi farmaya apne us gaane ki tarah sachh me che se to kam se kam cheeni kam hi ho gai hai dost....

तीसरा कदम said...

क्या भैया आजकल कोई नयी पोस्ट नहीं.