इस बार भी बैंकों और औद्योगिक संगठनों को रिज़र्व बैंक से काफ़ी उमीदें थीं, लेकिन तीसरी तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने प्रमुख दरों और अनुपात को यथावत रखते हुए सभी कयासों पर विराम लगा दिया। हालांकि अनुमान ये लगाये जा रहे थे की मुद्रास्फीति में कमी के चलते आरबीआई मौद्रिक नीति के उपकरणों की दरों में बदलाव करेगा। इन सब के बीच अब सवाल यह उठता है की आख़िर क्या कारण है की रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई परिवर्तन नहीं किया?
मंत्रालय और प्रधानमन्त्री कि आर्थिक सलाहकार परिषद् ने मार्च तक विकास दर के ७.५-८.० फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, लेकिन रिज़र्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक विकास दर के घटकर 7 फीसदी रहने और महंगाई दर घटकर 3 फीसदी तक रहने का अनुमान है। कुल मिलाकर महंगाई दर के आंकडों में लगातार जारी गिरावट के चलते आरबीआई इस बात को लेकर आश्वस्त है कि महंगाई अब नियंत्रण में है और आने वाले समय में इसमे और सुधार होगा, लेकिन इन सबके बावजूद रिज़र्व बैंक जहाँ एक ओर विकास दर के नकारात्मक आंकडों का अनुमान लगा रहा है, वहीँ दूसरी ओर महंगाई दर में कमी के बावजूद ब्याज दरों में परिवर्तन न करने कि बात आसानी से गले नहीं उतरती है। शायद इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि रिज़र्व बैंक का ध्यान अब महंगाई नियंत्रण की तुलना में आर्थिक विकास को गति देने की दिशा में अधिक है, लेकिन आरबीआई द्वारा बाज़ार में पर्याप्त तरलता उपलब्ध कराने के बावजूद कई बैंकों द्वारा ऋण पर ब्याज दरें कम ना करने के कारण कई क्षेत्रों में अब भी मांग की कमी बनी हुयी है। यही वजह है कि उसने बैंकों को साफतौर पर कह दिया है कि उन्हें लोन पर ब्याज दरें घटाना होंगी। गौरतलब है कि अर्थव्यवस्था में मांग और लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए केन्द्रीय बैंक ने सितम्बर से लेकर अब तक करीबन 3.88 लाख करोड़ रुपये बाज़ार में डाले हैं। लेकिन इन सबके बावजूद बैंकों के असहयोगात्मक रवैये के चलते ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए।
कुल मिलाकर रिज़र्व बैंक द्वारा फिलहाल मौद्रिक नीति की समीक्षा में ब्याज दरों में बदलाव न करने का एक कारण ये भी हो सकता है की आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद सरकार द्वारा राजकोषीय उपाय लागू कर पाना आसान नहीं होगा, ऐसे में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मौद्रिक नीति की आगामी समीक्षा में प्रमुख दरों में कमी देखने को मिल सकती है।