आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार जहाँ एक और महंगाई को काबू करने में लगी है, वहीँ दूसरी ओर चीनी की कीमतों में हो रही बढोत्तरी परेशानी का सबब बनती जा रही है। सरकार की इस परेशानी को बढ़ाने में ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल ने तो जैसे कोढ़ में खाज का काम किया है।
पिछले कुछ महीनों से चीनी के दाम 20-21 रुपये/किलो चल रहे हैं, और आने वाले समय में इसके दाम 10 रुपये/किलो तक बढ़ सकते हैं। चीनी के दामों में हो रही बढोत्तरी से चिंतित सरकार अब कुछ कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है , जिसके चलते चीनी कम्पनियों को निर्यात के लिए रिलीज़ आर्डर का इस्तेमाल न करने की मनाही हो सकती है। इसके साथ ही सरकार रिलीज़ आर्डर सिस्टम के तहत होने वाले चीनी निर्यात पर भी नज़र रखेगी। जिसमे चीनी निर्यात के लिए खाद्य मंत्रालय से अनुमति लेने की जरूरत होती है। पिछले कुछ समय से चीनी के दामों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है, ताकि निर्यात कम कर चीनी की आपूर्ति बढाई जा सके। बाज़ार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति होने पर उसके दाम में निश्चित रूप से कमी आएगी। लेकिन इन सब उपायों के बावजूद हाल ही में हुयी ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया है, और ऐसे में चीनी की कीमत कम होने की उम्मीद कम ही है। खैर अब देखना ये है की आख़िर सरकार चीनी के निर्यात में कमी लाकर इसकी बढती हुयी कीमत पर कैसे काबू पाती है।
पिछले कुछ महीनों से चीनी के दाम 20-21 रुपये/किलो चल रहे हैं, और आने वाले समय में इसके दाम 10 रुपये/किलो तक बढ़ सकते हैं। चीनी के दामों में हो रही बढोत्तरी से चिंतित सरकार अब कुछ कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है , जिसके चलते चीनी कम्पनियों को निर्यात के लिए रिलीज़ आर्डर का इस्तेमाल न करने की मनाही हो सकती है। इसके साथ ही सरकार रिलीज़ आर्डर सिस्टम के तहत होने वाले चीनी निर्यात पर भी नज़र रखेगी। जिसमे चीनी निर्यात के लिए खाद्य मंत्रालय से अनुमति लेने की जरूरत होती है। पिछले कुछ समय से चीनी के दामों में हो रही लगातार वृद्धि के कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है, ताकि निर्यात कम कर चीनी की आपूर्ति बढाई जा सके। बाज़ार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति होने पर उसके दाम में निश्चित रूप से कमी आएगी। लेकिन इन सब उपायों के बावजूद हाल ही में हुयी ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल ने सरकार के मंसूबों पर पानी फेर दिया है, और ऐसे में चीनी की कीमत कम होने की उम्मीद कम ही है। खैर अब देखना ये है की आख़िर सरकार चीनी के निर्यात में कमी लाकर इसकी बढती हुयी कीमत पर कैसे काबू पाती है।
2 comments:
"कोड में खाज का काम".......... शब्दों काम खूब प्रयोग किया है.
बहुत सुंदर लिखा है. रही बात चीनी की तो ये देश युही महान नही कहलाता. आपको तो मालूम ही है. सन २००५ में भारत में चीनी काम उत्पादन सबसे अधिक था और इस बार अपने रिपोर्ट दे ही दी. अब क्या कहा जाए ..................
बहुत अच्छा लिखा.
आपकी रचनाधर्मिता का कायल हूँ. कभी हमारे सामूहिक प्रयास 'युवा' को भी देखें और अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करें !!
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