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Sunday, January 18, 2009

अब सेबी करेगा बही-खातों की जांच


भारत के एनरान घोटाले के रूप में चर्चित हो चुके सत्यम मामले के बाद सेबी की आँखें भी खुल गई हैं। इसी के चलते सेबी (भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) अब अपने तरीके से कम्पनियों के बही-खातों की जांच करने पर विचार कर रहा है। कम्पनियों द्वारा तिमाही नतीजों की घोषणा के बाद उसके शेयरों के मूल्य में होने वाली अप्रत्याशित बढ़त तथा वे कंपनियाँ जिनकी एक या एक से अधिक सहायक कंपनियाँ हैं, उनके खातों की जांच अब सेबी स्वयं करेगा। पियर रिव्यू के तहत किसी दूसरी ऑडिट फर्म द्वारा खातों की जांच के बाद सेबी अपने स्तर पर उस कम्पनी की बैलेंस शीट जांचेगा, ताकि खातों में होने वाली वित्तीय गड़बडियों को रोका जा सके।

गौरतलब है की बही-खातों में बरती गई भारी अनियमितता के चलते ही सत्यम ने अपनी काल्पनिक संपत्ति को वास्तविक संपत्ति की तुलना में काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। इसके साथ ही सत्यम के पूरे मामले का पटाक्षेप भी तभी हुआ, जब कम्पनी के प्रमोटर्स ने अपनी ही सहायक कम्पनियों (मेटास इन्फ्रा और मेटास प्राप) को खरीदने की पेशकश की। इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए सेबी अब असामान्य रूप से बढ़ने वाले कम्पनियों के शेयर और प्रमोटर्स की सब्सिडरी कम्पनियों पर कड़ी नज़र रखने जा रहा है। खैर देर से ही सही,लेकिन खातों में की गई राजू की कलाकारी ने सरकार ही नहीं बल्कि सेबी को भी कड़े मानक तय करने पर मजबूर कर दिया है।

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