पिछले कई सालों से फर्जी साख के आधार पर निवेशकों का पैसा डकार रही "सत्यम कम्प्यूटर्स" का भंडाफोड़ तो हो गया, लेकिन क्या इससे उन लोगों को न्याय मिलेगा जो अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई इस कम्पनी में इस विश्वास से लगाते रहे कि आगे चलकर उन्हें इसका बेहतर प्रतिफल मिलेगा। लंबे समय से खाताबही में फर्जीवाडा करते आ रहे सत्यम के चेयरमैन रामालिंगा राजू कि गिरफ्तारी तो निवेशकों का पैसा नहीं लौटा सकती। हालांकि मंदी और महंगाई से जूझ रहे आम निवेशकों को न्याय दिलाने के लिए सरकार अब हाथ-पैर मार रही है, इसी के चलते उसने सत्यम के नए बोर्ड का गठन किया है। इसके अलावा व्यावसायिक अपराधों की जांच करने वाली सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन को भी सत्यम में हुयी वित्तीय अनियमितता की जांच करने को कहा गया है। बाज़ार नियामक सेबी और रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज ने भी अब अपने-अपने स्तर पर सत्यम कि जांच शुरू कर दी है। लेकिन इन सबके बावजूद सत्यम में कर्ज के रूप में अपना पैसा निवेश करने वाले संस्थानों और निवेशकों को इस बात कि चिंता खाए जा रही है, कि जांच-पड़ताल और कानूनी कार्रवाई के बाद भी उनके उस पैसे के निकलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे जिसे राजू पिछले कई सालों से ठिकाने लगाते आ रहे हैं। फिलहाल तो सरकार भी इस मामले पर कन्नी काटती नज़र आ रही है। कम्पनी कि साख बचाने और उसे आर्थिक सहायता प्रदान करने पर सरकार विचार तो कर रही है, लेकिन उसका कहना है कि कम्पनी में पैदा हुयी मुसीबतों और हालातों का अच्छी तरह जायजा लेने के बाद ही हम किसी नतीजे पर पहुंचेंगे। और तो और जब तक पूरी तरह से कम्पनी पर अपराध साबित नहीं हो जाता तब तक सरकार भी उसकी संपत्तियों को बेचकर ऋणदाताओं और निवेशकों का पैसा नहीं लौटा सकती। कुल मिलाकर कम्पनी के घोटालों और सरकार की जांच के बीच निवेशक को फिलहाल अपने पैसे लौटने की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
ऐसे में सत्यम रुपी भंवर में डूब चुकी निवेशकों की कमाई और भारतीय कार्पोरेट सेक्टर की साख को बचाने के लिए सरकार को संतुलित और पुख्ता कदम उठाने की आवश्यकता है। साथ ही निवेशकों को भी थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है, क्योंकि "घोटालों की जांच में थोड़ा वक्त तो लगता है...
1 comment:
आपको लोहडी और मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएँ....
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