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Thursday, August 21, 2008
एफ़ आई आई खींच सकते हैं पैसा
भारत में बढती महंगाई, राजनीतिक उठापटक और ख़राब नीतियों के चलते देश की राजकोषीय स्थिति बदतर होती जा रही है, जिसके चलते विदेशी संस्थागत निवेशक (एफ़ आई आई) भारतीय बाज़ार से अपना पैसा निकालने का मन बना रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सी फ़िच की मानें तो केन्द्र सरकार का घाटा वर्ष २००८ में जीडीपी का २.८ फीसदी था, जो कि वित्त वर्ष २००९ में सकल घरेलू उत्पाद के ४.५ फीसदी तक जा सकता है। फ़िच के अनुसार एशियाई देशों में भारत कि मौजूदा रेटिंग चीन और जापान कि तुलना में ६ पायदान नीचे है। जबकि अफ्रीकी देशों में मिस्र, मोरोक्को और नामीबिया जैसे देश भी हमसे आगे हैं। ऐसी स्थिति को देखते हुए विदेशी संस्थागत निवेशक इक्विटी और डेब्ट मार्केट से अपना पैसा खींच सकते हैं। भारत में तेज़ी से बदलते हालातों और अस्थिर अर्थव्यवस्था को देखते हुए फ़िच ने करंसी आउटलुक को भी स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दिया है।
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