आप सभी का स्वागत करता है...
Tuesday, October 28, 2008
क्या घटेंगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
Sunday, October 26, 2008
बड़ी कंपनियों कि नज़र अब छोटी कारों पर
Friday, October 24, 2008
बाज़ार में छाया साईको फोबिया
Wednesday, October 22, 2008
आईपीओ मतलब.......कोका-कोला
Sunday, October 19, 2008
निवेशक का निकला दिवाला
मंदी की सुनामी में लुटे कुबेरपुत्र
अमेरिका में पैदा हुए आर्थिक संकट ने सारी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारतीय उद्योगपतियों की संतानें भी इससे अछूती नहीं हैं। जनवरी से लेकर अब तक जिस तरह से बाज़ार बेकफुट पर आया है, उसमे बड़े-बड़े धनकुबेरों की संतानें भी अपनी करोड़ों की संपत्ति स्वाहा कर चुकी हैं...पिछले दस महीनों में ये कुबेरपुत्र लगभग 5352 करोड़ रुपये गंवा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक पैसा डी एल एफ के मालिक के पी सिंह की बेटी पिया ने गंवाए हैं। उन्होंने 3297 करोड़ रुपये हैं। जबकि उनके भाई तथा डी एल एफ के वाइस चेयरमैन राजीव सिंह 1586 करोड़ रुपये स्वाहा कर चुके हैं। यूनिटेक के मालिक रमेशचंद्र के पुत्र राजीव चंद्र ने इस मंदी रूपी सुनामी में 2930 करोड़ रुपये गंवाए हैं। रिलायंस के मालिक मुकेश अम्बानी की संतानें ईशा , आकाश और अनंत ने जहाँ 685 करोड़ डुबाये हैं, वहीँ अनिल अम्बानी के पुत्र जय और अनमोल ने भी अपने पापा की 137 करोड़ की पूंजी गँवाई। विप्रो के मालिक अजीम प्रेमजी के पुत्र रिषद प्रेमजी भी इस मामले में पीछे नहीं है। उन्होंने अब तक १४ करोड़ स्वाहा किए हैं...
Friday, October 17, 2008
सेंसेक्स बनाम सचिन
Friday, October 10, 2008
झुकी-झुकी सी नज़र...
झुकी-झुकी सी नज़र बेकरार है के नहीं...
दबा-दबा सा सही दिल में प्यार है के नहीं...झुकी-झुकी सी नज़र...
तू अपने दिल की जवां धडकनों को गिन के बता...
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार है के नहीं....दबा-दबा सा सही.....
वो पल के जिसमे मोहब्बत जवान होती है...
उस एक पल का तुझे इंतज़ार है के नहीं...दबा-दबा सा सही....
तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को...२
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार है के नहीं...दबा-दबा सा सही...
झुकी-झुकी सी नज़र....
चिट्ठी न कोई संदेश...
इस दिल पे लगाके ठेस...जाने वो कौन सा देश...जहाँ तुम चले गए...
इक आंह भरी होगी, हमने न सुनी होगी...जाते-जाते तुमने आवाज़ तो दी होगी....
हर वक्त यही है ग़म, उस वक्त कहाँ थे हम...कहाँ तुम चले गए...
हर चीज़ पे अश्कों से लिखा है तुम्हारा नाम, ये रस्ते घर गलियां तुम्हे कर न सके सलाम...
हाय दिल में रह गई बात...जल्दी से छुडाकर हाथ कहाँ तुम चले गए....
अब यादों के कांटे इस दिल में चुभते हैं, न दर्द ठहरता है...न आंसू रुकते हैं...
तुम्हे ढूंढ रहा है प्यार...हम कैसे करें इकरार...के हाँ तुम चले गए...
फरियाद...
तूने आंखों से कोई बात कही हो जैसे...
जागते-जागते इक उम्र कटी हो जैसे...
जान बाकी है मगर साँस रुकी हो जैसे......
जानता हूँ.....आपको सहारे की जरूरत होगी....बस साथ देने आया हूँ...
हर मुलाक़ात पे महसूस यही होता है...
मुझसे कुछ तेरी नज़र पूछ रही हो जैसे...
राह चलते हुए अक्सर ये गुमा होता है...
वो नज़र छुपके मुझे देख रही हो....जैसे...
एक लमहे में सिमट आया हो सदियों का सफर...
ज़िन्दगी तेज़ बहुत तेज़ चली हो...जैसे...
इस तरह पहरों तुझे सोचता रहता हूँ मैं...
मेरी हर साँस तेरे नाम लिखी हो...जैसे...