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Wednesday, October 8, 2008
आख़िर कब रुकेगी मंदी रुपी सुनामी...
विश्व भर में आई मंदी के चलते वित्तीय संस्थानों की माली हालत काफ़ी खस्ता हो चुकी है। हाल ही में दिवालिया घोषित हुए लेहमन ब्रदर्स उनमे से एक थी। इस वैश्विक मंदी का असर भारत में भी साफ़ दिखाई दे रहा है। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक 21000 से लुढ़ककर 10700 के स्तर को भी छू चुका है। वर्ष के शुरूआती दौर से ही शेयर बाज़ार मंदी की मार झेल रहा है, लेकिन यह मंदी थमने का नाम नही ले रही है। कभी क्रूड आयल के उबलने से तो कभी डॉलर के बढ़ने से बाज़ार लगातार मंदी की चपेट में है। कुल मिलाकर तेजड़ियों पर मंदडिए हावी हैं, जिसके चलते कई शेयर ब्रोकर इस मंदी रुपी सुनामी की भेंट चढ़ चुके हैं। ये हालात भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में देखने को मिल रहे हैं। हाल ही में अमेरिका के एक ब्रोकर ने परिवार सहित आत्महत्या कर ली। अपने आप को विश्व का आका कहलाने वाला अमेरिका और अंकल सैम भी इस मंदी को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। हालांकि अमेरिकी सरकार ने इस मंदी रुपी सुनामी को रोकने के लिए 7 सौ अरब डॉलर का राहत पैकेज जारी किया है, लेकिन यह पैकेज 12 हजार अरब बिलियन डॉलर की जीडीपी वाले देश के लिए ऊँट के मुह में जीरे के समान है।
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