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Friday, October 10, 2008

चिट्ठी न कोई संदेश...

चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश...जहाँ तुम चले गए...
इस दिल पे लगाके ठेस...जाने वो कौन सा देश...जहाँ तुम चले गए...

इक आंह भरी होगी, हमने न सुनी होगी...जाते-जाते तुमने आवाज़ तो दी होगी....
हर वक्त यही है ग़म, उस वक्त कहाँ थे हम...कहाँ तुम चले गए...

हर चीज़ पे अश्कों से लिखा है तुम्हारा नाम, ये रस्ते घर गलियां तुम्हे कर न सके सलाम...
हाय दिल में रह गई बात...जल्दी से छुडाकर हाथ कहाँ तुम चले गए....

अब यादों के कांटे इस दिल में चुभते हैं, न दर्द ठहरता है...न आंसू रुकते हैं...
तुम्हे ढूंढ रहा है प्यार...हम कैसे करें इकरार...के हाँ तुम चले गए...

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