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Wednesday, October 22, 2008

आईपीओ मतलब.......कोका-कोला

निवेशकों के लिहाज से वर्ष 2007 काफ़ी अच्छा रहा...जब मार्केट अपने पूरे शबाब पर था, लेकिन 2008 शुरू होते ही नतीजे एकदम उलट....निवेशकों ने होम किया और हाथ जले....अरे भई ये तो कहावत है...पर है बिल्कुल सच। लोगों ने सोचा शेयर मार्केट में सीधे घुसना रिस्की है.....तो चलो आईपीओ एक बेहतर विकल्प है...लेकिन भई जब ख़राब वक्त आता है...तो ऊंट पर बैठे आदमी को भी कुत्ता काट जाता है...और वही हुआ। 2008 में जितनी भी कंपनियों के आईपीओ आए वे अपने इश्यू प्राइस से नीचे ही खुले...और अगर किसी तरह वो शुरूआती दौर में ऊपर भी खुले तो मार्केट ने उन्हें अपने लपेटे में ले ही लिया। एक स्टडी के मुताबिक 123 में से 102 कंपनियों के भाव इश्यू प्राइस से भी नीचे हैं। हालात ये हैं...कि कुछेक कंपनियों का बाज़ार पूंजीकरण तो आईपीओ से जुटाई गयी रकम से भी कम हो गया है। इस मंदी ने किसी को भी नही छोड़ा.....चाहे फिर राजा हो या रंक...कहने का मतलब है कि नुकसान सिर्फ़ छोटी कंपनियां ही नहीं झेल रही हैं...बड़ी-बड़ी दिग्गज कंपनियां भी इसमे शामिल हैं....जिनका बाज़ार पूंजीकरण अरबों रुपये में हैं। आईपीओ बाज़ार का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं...कि ऑइल इंडिया लिमिटेड ने फिलहाल आईपीओ लाने का इरादा टाल दिया है। कुल मिलकर लगता है कि आईपीओ मतलब कोका-कोला...

1 comment:

ठिठके पल पांखुरी पर said...

ipo ko ekdam sateek vshleshan kiya ganesh bhai.. oont aur kutte ka example badiya raha.