अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें 17 महीने के निचले स्तर पर पहुँचने के बाद भी आख़िर पेट्रोलियम मंत्रालय पेट्रोल-डीजल के दाम क्यों नहीं घटा रहा है ? यह सवाल हर नागरिक के मन में जरूर उठ रहा होगा। इसी साल 147 डॉलर/बैरल के स्तर को छू चुका क्रूड अब 60 से 65 डॉलर/बैरल पर आ चुका है, लेकिन भारत सरकार की ओर से अब तक पेट्रोल की बढ़ी कीमतें घटाने पर कोई सकारात्मक और ठोस जवाब नहीं आया है। मंदी और महंगाई की मार झेल रहे उपभोक्ता को कच्चे तेल की कीमतों में कमी से एक आशा की किरण जगी है, लेकिन सरकार के कान पर अभी तक जूं नहीं रेंगी। यहाँ तक कि अब तो तेल कंपनियां भी कह चुकी हैं कि यदि क्रूड के दाम 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल तक रहते हैं, तो उन्हें कोई घाटा नहीं होगा। लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार को ही अपना वादा याद नहीं है। जबकि पेट्रोलियम मंत्री ने ख़ुद एक बयान में कहा था कि अगर क्रूड का दाम 61 डॉलर/बैरल पर आएगा, तो हम पेट्रोल-डीजल कि कीमतों में कमी करेंगे। जहाँ तक विशेषज्ञों की बात है तो उनका कहना है कि आर्थिक उठापटक के बीच क्रूड के दाम में तेजी कि उम्मीद कम ही है, और अगर अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से कमजोर आर्थिक आंकडे आते हैं तो कच्चे तेल के दाम और नीचे जा सकते हैं। कुल मिलाकर सभी चीजें सकारात्मक हैं तो फिर आख़िर सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाने में इतनी देरी क्यों कर रही है? तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए तो बेहतर है, लेकिन ये बेहतरी तभी होगी, जब जनता के लिए पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी की दरकार.....पूरी करेगी सरकार...
1 comment:
post chhoti hai, aapka foto badi. aap achchha likhoge to aap bina foto ke hee chh jayoge. soory to say
narayan narayan
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